शनिवार, 24 मई 2025

Importance of Soft Skills in Education

Importance of Soft Skills in Education

1. *Enhanced Employability*: Employers value soft skills, such as communication, teamwork, and problem-solving, when hiring and promoting employees.


2. *Improved Academic Performance*: Soft skills like time management, organization, and critical thinking help students achieve better academic results.


3. *Better Relationships*: Developing soft skills like emotional intelligence, empathy, and communication helps students build strong, positive relationships with peers, teachers, and mentors.


4. *Increased Confidence and Self-Esteem*: Mastering soft skills like leadership, initiative, and problem-solving boosts students' confidence and self-esteem.


5. *Preparation for Real-World Challenges*: Soft skills help students navigate real-world challenges, such as working in teams, managing stress, and adapting to change.

Integrating Soft Skills into Education

1. *Project-Based Learning*: Encourage students to work on projects that require collaboration, problem-solving, and critical thinking.


2. *Group Discussions and Debates*: Foster critical thinking, communication, and teamwork skills through group discussions and debates.


3. *Role-Playing and Simulations*: Use role-playing and simulations to teach soft skills like leadership, communication, and problem-solving.


4. *Mentorship and Feedback*: Provide students with mentorship and constructive feedback to help them develop soft skills.


5. *Extracurricular Activities*: Encourage students to participate in extracurricular activities that promote soft skill development, such as sports, clubs, or volunteer work.


मंगलवार, 28 नवंबर 2023

Panic attack

पैनिक अटैक एक तरह की अंतर्निहित चिंता और भय की अचानक और तेज़ उच्चता है। यह स्थिति व्यक्ति को असुरक्षित और बेहद असहाय महसूस कराती है। इसमें श्वास-विकास की समस्याएं, हृदय की तेज़ धड़कन, घर्षण, स्वेतपात, और अचानक भयानक या अस्वाभाविक डर शामिल हो सकते हैं। यह अवस्था अच्छी तरह से एक निर्मित कर सकती है और व्यक्ति को स्थायी रूप से असुरक्षित महसूस होने का कारण बन सकती है, जिससे उन्हें सोशल इंटरएक्शन में होने में कठिनाई हो सकती है। इसके लिए चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन, और साकारात्मक रूप से स्थिति का प्रबंधन हो सकता है।

सोमवार, 3 जुलाई 2023

गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा एक पर्व है जो हिंदी संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व विशेष रूप से गुरुओं को याद करने और उन्हें सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जोकि हिंदू पंचांग के अनुसार जून या जुलाई में आता है। यह तिथि पूर्ण चंद्रमा के दिन को संदर्भित करती है। गुरु पूर्णिमा का महत्व संस्कृति में विशेष ध्यान देने वाले गुरुओं के प्रति श्रद्धाभाव और आचार्य-शिष्य सम्बंध को समझाने में है। इस दिन विद्यार्थी अपने गुरुओं को प्रणाम करते हैं और उन्हें आभार व्यक्त करते हैं। यह पर्व शिक्षा का महत्व, ज्ञान की प्रशंसा, और संस्कृति के मूल्यों को समझाने का भी अवसर प्रदान करता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर का अवतार माना जाता है। गुरु शिष्य को ज्ञान के मार्ग पर अनुचर बनाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है। इसे आषाढ़ मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जोकि जून या जुलाई महीने में पड़ता है। इस दिन गुरुओं को सम्मान करने, उन्हें धन्यवाद देने और उनके चरणों में श्रद्धा भाव से प्रणाम करने का अवसर होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं को समर्पित होते हैं, जो उन्हें ज्ञान के मार्ग पर आगे बढ़ने में मार्गदर्शन करते हैं। गुरु शिष्य के बीच एक गहरा आदर्श रिश्ता होता है, जिसमें गुरु सिर्फ शिक्षा नहीं देते हैं, बल्कि उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों को समझाने में भी मदद करते हैं। गुरु पूर्णिमा का यह महत्व भारतीय संस्कृति में शिक्षा के महत्व को समझाने और उसे आदर्शित करने के लिए भी है। इस दिन लोग अपने गुरुओं के आदर्शों का ध्यान रखते हैं और उन्हें सम्मान करने का एक विशेष अवसर होता है।

गुरुवार, 29 जून 2023

देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी एक हिन्दू त्योहार है जो कि ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। यह त्योहार भारतीय हिन्दू परंपरा में महत्वपूर्ण माना जाता है। देवशयनी एकादशी को भी "पंडरपुर एकादशी" या "आषाढी एकादशी" के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन श्री विठ्ठल जी का आविर्भाव हुआ था। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विठ्ठल मंदिरों में जाकर पूजा आराधना करते हैं। विठ्ठल मंदिरों में भक्तों की भीड़ जमा होती है और उन्हें प्रसाद वितरित किया जाता है। इस त्योहार का महत्व मुख्य रूप से महाभारत कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस एकादशी को व्रत रखा था, जिससे उन्हें विजयी होने में सहायता मिली थी। इसलिए, देवशयनी एकादशी को विजय और सफलता की प्रतीक माना जाता है। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥ ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। एक अन्य मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु इस तिथि से चार महीनों के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। चार माह की इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है और इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि देवशयनी एकादशी से सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति के तेजस तत्व में कमी आ जाती है, जिसकी वजह से शुभ कार्यों का शुभ फल नहीं मिलता। मान्यता है कि चातुर्मास में सभी तीर्थ ब्रजधाम आ जाते हैं इसलिए इस अवधि में ब्रज की यात्रा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और धन धान्य की कमी नहीं होती है। साथ ही इस पवित्र तिथि पर दान पुण्य करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।

शनिवार, 17 जून 2023

17 जून से जुड़ा भारतीय इतिहास

इतिहास से अच्छा कोई दूसरा शिक्षक हो ही नही सकता। इतिहास अपने में घटना क्रम नहीं अपितु हम इससे बहुत सीख ले सकते हैं। 1631: मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की पत्नी मुमताज महल की मृत्यू 17 जून 1631 को हो गई थी। शाहजहाँ ने अगले सत्रह साल ताजमहल के निर्माण में बिताए। 1674: छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई का निधन 17 जून को हुआ था। जीजाबाई एक बहुत ही बुद्धिमान महिला मानी जाती थीं, जो एक स्वतंत्र राज्य के निर्माण के लिए एक महान दृष्टि रखती थीं। उन्होंने रामायण, महाभारत और बलराज की कहानियाँ सुनाकर शिवाजी को प्रेरित किया। उनसे प्रेरित होकर, शिवाजी ने 17 वर्ष की आयु में 1645 में भगवान रायरेश्वर के मंदिर में स्वतंत्रता (स्वराज) की शपथ ली। शिवाजी के भोले, बेदाग चरित्र और साहस में जीजाबाई का योगदान बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है। 1887: भारतीय राजनीतिज्ञ कैलाश नाथ काटजू का जन्म 17 जून 1887 को हुआ। 1917: महात्मा गांधी ने 17 जून 1917 को साबरमती आश्रम के हृदय कुंज में अपना निवास स्थान बनाया। 1930: भारतीय अभिनेता अनूप कुमार का जन्म 17 जून 1930 हुआ। 1940: 17 जून 1940 को द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे बड़ी समुद्री आपदा, फ्रांस के सेंट-नाज़ियर के पास लूफ़्टवाफा द्वारा सैन्य दल के डूबने से कम से कम 3 हज़ार लोग मारे गए थे। 1942: भारतीय राजनीतिज्ञ भगत सिंह कोश्योरी का जन्म 17 जून 1942 को हुआ। 1944: 17 जून 1944 को बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स के संस्थापक बंगाली रसायनज्ञ आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 1944: आइसलैंड ने 17 जून 1944 दिन डेनमार्क से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। 1956: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 17 जून 1956 को पारित किया गया था। 1961: जर्मन इंजीनियर कर्ट टैंक द्वारा डिजाइन किए गए एचएफ-24 मारुत सुपरसोनिक लड़ाकू विमान ने 17 जून 1961 को अपनी पहली उड़ान भरी। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स एचएफ -24 मारुत 1960 के दशक का एक भारतीय लड़ाकू-बमवर्षक विमान था। यह भारत में पहला जेट विमान था। 1970: विश्व में पहली बार 17 जून 1970 को किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन शिकागो में किया गया था। 1973: 17 जून 1973 में भारतीय टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस का जन्म हुआ। 1981: 17 जून 1981 में भारतीय सिनेमा अभिनेत्री अमृता राव का जन्म हुआ। 2015: 17 जून 2015 में एमआईटी में मैकगवर्न इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन रिसर्च, भारतीय वास्तुकार चार्ल्स कोरिया का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 2019: 17 जून 2019 में भारत ने 28 अमेरिकी सामानों पर रिटालिएट्री टैरिफ लगाया। 2020: हिमालय की गालवान घाटी में 45 वर्षों में पहली बार चीनी-भारतीय सीमा पर 17 जून 2020 को घातक झड़प हुई, जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए।
17 जून से जुड़े कुछ अन्य तथ्य: 1756 में 17 जून को ही नवाब सिराजुद्दौला ने 50 हजार सैनिकों के साथ कलकत्ता पर आक्रमण किया था। 1799 में आज ही के दिन नेपोलियन बोनापार्ट ने इटली को अपने साम्राज्य में शामिल किया था। 1855 में 17 जून को ही स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी न्यूयॉर्क के बंदरगाह पहुँचा था। 1917 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम में हृदय कुंज को अपना आवास बनाया था। 1938 में 167 जून को ही जापान ने चीन के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी। 1974 में 17 जून को ही ब्रिटेन की संसद में बम धमाके में 11 लोग घायल हो गए थे। 2002 में आज ही के दिन कराची में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को दोबारा खोला गया था। 2004 में 17 जून को ही मंगल पर पृथ्वी की चट्टानों से मिलते-जुलते पत्थर मिले थे।

बुधवार, 14 जून 2023

कैंची आश्रम का इतिहास कैंची उत्तराखंड में कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर एकांत पर्वतीय आश्रम है। पहले मंदिर का उद्घाटन जून 1964 में हुआ था। यह नैनीताल से लगभग 38 किमी दूर है। यहाँ के मंदिरों में हर दिन, मौसम में सैकड़ों लोग आते हैं। नियमों को सख्ती से लागू किया जाता है और आश्रम में रहने वाले व्यक्तियों को सुबह और शाम की आरती में भाग लेना आवश्यक होता है। आश्रम वर्ष के एक बड़े हिस्से के लिए बंद रहता है, क्योंकि यह बहुत ठंडा हो जाता है। आश्रम यदि आप इस त्रुटिहीन आश्रम में रहना चाहते हैं तो परिचय पत्र और आश्रम के साथ पूर्व व्यवस्था आवश्यक है। यदि आप महाराजजी के कैंची धाम आश्रम के अंदर रहना चाहते हैं, तो आपको पहले प्रबंधक को लिखना होगा और अपने रहने की अनुमति का अनुरोध करना होगा। आम तौर पर लोगों को अधिकतम तीन दिनों तक रहने की अनुमति दी जाती है। सन् 1962 की बात है जब महाराजजी ने कैंची गाँव के श्री पूर्णानंद को बुलाया था, जबकि वे स्वयं कैंची के पास सड़क के किनारे मुंडेर पर बैठ कर प्रतीक्षा कर रहे थे। जब वे आए तो उन्होंने अपनी पहली मुलाकात की यादें ताज़ा कर दीं जो 20 साल पहले 1942 में हुई थी। उन्होंने आसपास की जगह के बारे में चर्चा की। महाराजजी उस स्थान को देखना चाहते थे जहां साधु प्रेमी बाबा और सोम्बरी महाराज रहते थे और यज्ञ करते थे। जंगल को साफ कर दिया गया और महाराजजी ने यज्ञशाला को कवर करने वाले चबूतरा (आयताकार मंच) के निर्माण के लिए कहा। महाराजजी ने तत्कालीन "वन संरक्षक" से संपर्क किया और आवश्यक भूमि को पट्टे पर ले लिया। ऊपर बताए गए चबूतरे के ऊपर हनुमान मंदिर बना हुआ है। जगह-जगह से उनके भक्त आने लगे और भंडारे, कीर्तन, भजनों का सिलसिला शुरू हो गया। विभिन्न वर्षों में 15 जून को हनुमानजी आदि की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस प्रकार, 15 जून को हर साल प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है जब बड़ी संख्या में भक्त कैंची आते हैं और प्रसाद प्राप्त करते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या और इससे जुड़े वाहनों का आवागमन इतना अधिक होता है कि जिला प्रशासन को इसके नियमन के लिए विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके मुताबिक पूरे परिसर में कुछ बदलाव किए गए हैं ताकि लोगों को आने-जाने में किसी तरह की दिक्कत न हो। कैंची मंदिर का प्रत्येक भक्त के जीवन में विशेष महत्व है। यहीं पर राम दास और अन्य पश्चिमी लोगों ने महाराजजी के साथ बहुत अच्छा समय बिताया था। सभी भक्तों को कम से कम एक बार इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

मंगलवार, 13 जून 2023

पैरों की ऐठन

पैरों की ऐठन हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें चलने, दौड़ने और सामान्य गतिविधियों के लिए समर्थन प्रदान करती है। जब हमें कोई दर्द या आघात होता है, तो पैरों की आइठन असहज महसूस होती है। हम उन्हें आराम देने के लिए उचित चिकित्सा और देखभाल की जरूरत महसूस करते हैं। इसलिए, हमें अपने पैरों की आइठन को ध्यान में रखना चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए उनका उचित देखभाल करनी चाहिए। उपाय पैरों की ऐठन को कम करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं: उचित चरणों का पालन करें: सही चलने की तकनीक अपनाएं और एक सही पैरों के लिए उचित जूते पहनें। इससे पैरों पर दबाव कम होगा और आइठन का खतरा कम होगा। पैरों की मालिश करें: रोजाना नरम हाथों से पैरों की मालिश करें। इससे रक्त संचार सुधारता है और पैरों की मांसपेशियों को तंदुरुस्त रखने में मदद मिलती है। आरामदायक जूते पहनें: उचित आकार और खुदरा के साथ मुख्यतः फ्लैट जूते पहनें। यह आपके पैरों को सही समर्थन प्रदान करेगा और आइठन को कम करेगा। व्यायाम करें: पैरों के लिए व्यायाम करना उपयोगी होता है। पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम जैसे कि पैरों की उच्च उठान, घुटनों के मोड़, और बाल टोलने की क्रियाएँ करें। पैरों को आराम दें: अगर आपके पैरों में दर्द हो रहा है, तो उन्हें आराम दें

Importance of Soft Skills in Education

Importance of Soft Skills in Education 1. * Enhanced Employability * : Employers value soft skills, such as communication, teamwork, and pr...